31/10/2007


"कशमकश में हूँ उनको बताऊँ कैसे ,

कितना है सीने में प्यार मैं दिखाऊँ कैसे "


"लिख कर मैं कहूँ ,या होठो से कह दूँ ....

जताऊँ मैं उनको,या इशारा मैं कर दूँ ॥"


"राह मुझको दिखाओ यारो.....

या जाओ ,तुम ही उनको बता आओ यारो"


"उनसे कहना ,मुझे उन से प्यार बहुत है ॥

मेरी आँखों को उन के दरस कि प्यास बहुत है ...

कम है अल्फाज़ मेरे पास ,

पर दिल में चाहत का एहसास बहुत है ...

कई रिश्तो से घिरी हूँ मैं ,

पर suuna एक अपने के लिए मेरा जहाँ बहुत है ....

तू चाँद बन के उज्यारा फैला जा ,

अँधेरा मेरे जीवन में बहुत है ...."


"वादा भी लेना,के वह मुझ से मिलने एक बार आयेगा ॥

रखेगा जो दिल पे हाथ ,कितनी है मोहब्बत वह खुद जान जाएगा॥"


"यह ख़त फूलों में छिपा कर ले जाना यारों,

पैगाम है किसी का कह के थमा आना यारों"


ऋतू सरोहा





25/10/2007


जीने भी ना देती है

हमको मरने भी ना देती है॥

चाह उन से मिलन कि हमको
जुदाई में तड़पने भी ना देती है॥


ऋतू सरोहा

16/10/2007


खामोंशिया भी करती मेरे यार कि

मुझ से बातें सी है

फिर ना जाने क्यों उनको चुप रहने कि

कुछ आदत सी है॥


ज़ालिम कहता है के पीता नही है वोह

कोई बता दे

फिर क्यों आँखों मे उनकी नशे

कि आहट सी है ॥


सामने खडे हो कर जब करते है बातें
छूती मेरे गालों को

उनकी सांसों कि गर्माहट सी है॥


करती है मुझको
जो प्यार करने को मजबूर
बातों में उनकी एक शरारत सी है ॥


कोई बतला दे, के कैसे मैं कहूँ उन से

के उनको पाने की दिल में,

दबी एक चाहत सी है॥


ऋतू सरोहा