29/08/2008

19/08/2008




ankh ankh me raat jalna
karwat karwat khwab jhtaknaa.....

ghur mujhko, pair patakna
baat baat me baat paltna....


jhum nashe me, kadam ladakhna
ghut ghut kar jaam gatakna...


bandh sari shehr nikalna
matak matak kar kamar lachakna....


tara tara akash chamkna
badal badal jhum barsna

panchi panchi sheher badalna
yaad yaad bebaat dhmakna.........

ritu saroha

09/08/2008


tum mujh se
puch rahe ho meri marzi,

yun kare.n,
ya kare.n woh,
kya kehti ho aisa na kare....

har faisle ka haq
to maine tumeh
usi roz de diya tha...


jab kisi azzan ki tarah
tumne hole se
mere kano me kaha tha
"jaan"

18/07/2008

chand


meri raton ka rang uda jata hai
yeh nigoda chand jab bhi
jal jal ke aa jata hai

ho jata hai feeka meri rato ka rang sara
hath ko hath sujh jata hai
tere khyal bhi darta hai
jehen me aane se
bhala kon bulata hai isko
muh utha chala ata hai

udhar ki fekta hai roshni sari
rup bhi sab gaddo bhara hai
tere shehr ka hai shayd
dekh bebat akadta jata hai

mujhko pasand hai raat amavas ki
jab yeh aa na pata hai,
ghup andheri hoti raat meri
kala rang nikhar sa jata hai

umad umad ke aate hai tab khwab tere
kabhi kabhi tu bhi to,
chip chala aata hai
bairi hai shayd tere meri yaari ka
kyun ziyafat ki khtir
mehmaan ban chala ata hai

kahin aisa to nahi ke mehbooba ho
iski shehr me mere
uske noor dekhhne ko chala ata hai
main yun hi rahun kosti isko
aur yeh bhi koi ahiq nikle


---ritu saroha--

08/01/2008


दिल धक् से रह गया था सीने में मेरा

तुने आँखों से जो मुझको छू लिया था ज़रा

भीग गए थे हम रूह तक उस से

छलका था जो प्यार तेरी आँखों में भरा॥
ऋतू सरोहा







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06/12/2007


करते हो मुझ से तुम जितना प्यार सनम,

उतना प्यार तुम से मैं भी तो कर रही हूँ ....

याद करके जागते हो तुम रात भर,

तेरी यादों में खो कर मैं भी तो न सो रही हूँ....

प्यार तुम को भी है

प्यार मैं भी तो कर रही हूँ......


सता रही है जो तुझको न मिल पाने कि कसक,

उसी आग में सनम मैं भी तो जल रही हूँ.....

घबराया है जो तू ज़माने से ज़रा

उसी ज़माने से मैं भी तो दर रही हूँ....

प्यार तुमको भी है

प्यार तुम से मैं भी तो कर रही हूँ....


है तुझको इंतजार मेरे साथ का,

दुआ मिलन की मैं भी तो कर रही हूँ.....

गर हो गए जुदा हम तो भी

खुश रहने का वादा मैं ले रही हूँ ,वादा मैं कर रही हूँ.......


प्यार तुमको भी है

प्यार मैं भी तो कर रही हूँ॥

ritu saroha

31/10/2007


"कशमकश में हूँ उनको बताऊँ कैसे ,

कितना है सीने में प्यार मैं दिखाऊँ कैसे "


"लिख कर मैं कहूँ ,या होठो से कह दूँ ....

जताऊँ मैं उनको,या इशारा मैं कर दूँ ॥"


"राह मुझको दिखाओ यारो.....

या जाओ ,तुम ही उनको बता आओ यारो"


"उनसे कहना ,मुझे उन से प्यार बहुत है ॥

मेरी आँखों को उन के दरस कि प्यास बहुत है ...

कम है अल्फाज़ मेरे पास ,

पर दिल में चाहत का एहसास बहुत है ...

कई रिश्तो से घिरी हूँ मैं ,

पर suuna एक अपने के लिए मेरा जहाँ बहुत है ....

तू चाँद बन के उज्यारा फैला जा ,

अँधेरा मेरे जीवन में बहुत है ...."


"वादा भी लेना,के वह मुझ से मिलने एक बार आयेगा ॥

रखेगा जो दिल पे हाथ ,कितनी है मोहब्बत वह खुद जान जाएगा॥"


"यह ख़त फूलों में छिपा कर ले जाना यारों,

पैगाम है किसी का कह के थमा आना यारों"


ऋतू सरोहा





25/10/2007


जीने भी ना देती है

हमको मरने भी ना देती है॥

चाह उन से मिलन कि हमको
जुदाई में तड़पने भी ना देती है॥


ऋतू सरोहा

16/10/2007


खामोंशिया भी करती मेरे यार कि

मुझ से बातें सी है

फिर ना जाने क्यों उनको चुप रहने कि

कुछ आदत सी है॥


ज़ालिम कहता है के पीता नही है वोह

कोई बता दे

फिर क्यों आँखों मे उनकी नशे

कि आहट सी है ॥


सामने खडे हो कर जब करते है बातें
छूती मेरे गालों को

उनकी सांसों कि गर्माहट सी है॥


करती है मुझको
जो प्यार करने को मजबूर
बातों में उनकी एक शरारत सी है ॥


कोई बतला दे, के कैसे मैं कहूँ उन से

के उनको पाने की दिल में,

दबी एक चाहत सी है॥


ऋतू सरोहा